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पोप फ्रांसिस को दुनिया ने दी अंतिम विदाई, जानिए उनके जीवन के अनसुने पहलू


वेटिकन सिटी, 26 अप्रैल: कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार वेटिकन सिटी में सम्मान के साथ संपन्न हो गया। दुनियाभर के नेता और हजारों श्रद्धालु उन्हें विदाई देने पहुंचे। भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वेटिकन पहुंचकर सेंट पीटर्स बेसिलिका में पोप के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू भी उपस्थित रहे।



पोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल को 88 वर्ष की उम्र में हुआ था। वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। स्ट्रोक और हार्ट फेल होने के कारण उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा गया था।

अंतिम दर्शन के बाद बंद हुआ ताबूत

मंगलवार शाम को अंतिम दर्शन का समय समाप्त होने के बाद पोप का ताबूत बंद कर दिया गया। बुधवार, 26 अप्रैल को भव्य अंतिम संस्कार समारोह के बाद उन्हें उनके इच्छित स्थान सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका, रोम में दफनाया गया। वे 100 साल में पहले ऐसे पोप बने, जिन्हें वेटिकन के बाहर दफनाया गया है।

कौन थे पोप फ्रांसिस?

पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोग्लियो था, अर्जेंटीना में 17 दिसंबर 1936 को जन्मे थे। वे अमेरिका महाद्वीप से पोप बनने वाले पहले और बीते 1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे।

2013 में वे 266वें पोप बने। अपने कार्यकाल में उन्होंने चर्च में कई ऐतिहासिक बदलाव किए — जैसे समलैंगिक व्यक्तियों के चर्च में स्वागत की बात करना, पुनर्विवाह करने वालों को धार्मिक मान्यता देना और चर्च में बच्चों के यौन शोषण पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगना।

वे जेसुइट समाज (Society of Jesus) के सदस्य थे और दर्शनशास्त्र व धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री धारक थे। पोप बनने से पहले वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप और फिर कार्डिनल बने थे।


पोप के निधन से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल

पोप की अंगूठी क्यों तोड़ी जाती है?

पोप के निधन के बाद उनकी Fisherman's Ring को एक खास विधि से तोड़ दिया जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से उनके आधिकारिक कार्यकाल के अंत का संकेत होता है, ताकि कोई उसकी नकल कर दस्तावेजों पर मोहर न लगा सके।

नए पोप के लिए चर्च से धुआं क्यों उठता है?

नए पोप के चुनाव के दौरान जब कार्डिनल गोपनीय मतदान करते हैं, तो हर मतदान के बाद वोटिंग पेपर जला दिए जाते हैं। अगर कोई निर्णय नहीं होता तो काले धुएं का गुबार उठता है (No decision)। अगर नया पोप चुन लिया जाता है, तो सफेद धुआं (White Smoke) उठता है, जिससे पूरी दुनिया को संकेत मिल जाता है कि नया पोप चुन लिया गया है।

अब नए पोप का चुनाव कैसे होगा?

नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया को 'पैपल कॉन्क्लेव' कहा जाता है। इसमें कार्डिनल्स की एक गुप्त बैठक होती है और वोटिंग कर नया पोप चुना जाता है। आमतौर पर पोप के निधन के 15 से 20 दिन के भीतर कॉन्क्लेव बुलाया जाता है।


पोप फ्रांसिस के निधन के बाद भारत सरकार ने भी उनके सम्मान में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी। उनकी विरासत और सुधारों को कैथोलिक समुदाय ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया लंबे समय तक याद रखेगी।

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