नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को राजनीतिक विषयों पर हुई कैबिनेट समिति की एक अहम बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। अब देश में होने वाली अगली जनगणना (Census) में जातियों की भी गिनती की जाएगी। यानी अब सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) ही नहीं, बल्कि ओबीसी (Other Backward Classes) सहित सभी जातियों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे।
इस फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। उन्होंने बताया कि जनगणना फॉर्म में अब जाति का कॉलम जोड़ा जाएगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं।
🔴 राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस और INDI गठबंधन पर आरोप लगाया कि उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे को केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाया। उन्होंने याद दिलाया कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में जातिगत जनगणना पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन कोई ठोस अमल नहीं हुआ। 2011 में केवल सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) कराई गई, लेकिन उसकी जाति आधारित रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई।
📊 2011 की जनगणना: क्या कहती है आखिरी जनसंख्या रिपोर्ट?
भारत में आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी, जिसमें कुल जनसंख्या 121 करोड़ (1.21 अरब) दर्ज की गई।
कुछ प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं:
-
कुल जनसंख्या: 1,210,854,977
-
पुरुष: 623.2 मिलियन
-
महिला: 586.4 मिलियन
-
SC आबादी: 20.13 करोड़ (16.6%)
-
ST आबादी: 10.45 करोड़ (8.6%)
-
SC जातियों की संख्या: 1,270
-
ST जातियों की संख्या: 748
-
साक्षरता दर: 74.04%
-
जनसंख्या वृद्धि दर (2001–2011): 17.64%
हालांकि 2011 में OBC की गिनती नहीं हुई, लेकिन उस वर्ष सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के जरिए लगभग 2,633 ओबीसी जातियों की पहचान की गई थी, पर उनका स्पष्ट जनसंख्या आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया।
🧾 कानूनी बदलाव की भी तैयारी
जातिगत जनगणना को लागू करने के लिए सरकार को जनगणना अधिनियम 1948 (Census Act, 1948) में संशोधन करना होगा, क्योंकि मौजूदा कानून केवल SC और ST की गिनती की अनुमति देता है। ओबीसी और अन्य जातियों को शामिल करने के लिए नए प्रावधान जोड़े जाएंगे।
🕰️ अगली जनगणना कब?
2021 में प्रस्तावित जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। अब माना जा रहा है कि यह 2026 तक आयोजित की जाएगी, जिसमें नया फॉर्मेट और डिजिटल प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
🌍 सामाजिक न्याय और नीति निर्माण में उपयोगी
विशेषज्ञों का मानना है कि जातिगत जनगणना से सरकार को
-
नीति निर्माण,
-
आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा,
-
कल्याणकारी योजनाओं का लक्ष्य निर्धारण,
-
और समाज में प्रतिनिधित्व और समानता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
यह कदम भारत को एक समावेशी लोकतंत्र की दिशा में ले जाने वाला बताया जा रहा है।
Comments
Post a Comment