नई दिल्ली, 06, सितंबर: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 2014 हिसार सतलोक आश्रम प्रकरण में संत रामपाल जी महाराज को मिली उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है। अदालत ने माना कि घटना में हुई मौतों के कारण विवादित हैं और अपील पर अंतिम सुनवाई तक उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
FIR 429 और आरोप
बरवाला घटना के बाद दर्ज FIR 429 में संत रामपाल जी महाराज पर हत्या, आपराधिक साजिश और अवैध कैद जैसी धाराएं लगाई गई थीं। 2018 में हिसार की विशेष अदालत ने इन्हीं धाराओं के तहत उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए मामला हाईकोर्ट में अपील के तौर पर लंबित है।
कोर्ट का फैसला और टिप्पणियां
- हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों में गहरे विरोधाभास हैं।
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मृतकों के परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों ने अदालत में कहा कि मौतें पुलिस की कार्रवाई, आंसू गैस और दम घुटने से हुईं।
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प्रशासन ने आश्रम की बिजली-पानी काट दिया था और एम्बुलेंस को अंदर जाने से रोका, जिससे हालात बिगड़े।
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अदालत ने माना कि यह सवाल बहस योग्य है कि मौतें हत्या थीं या पुलिस कार्रवाई की परिणति।
मृतकों के परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों ने अदालत में कहा कि मौतें पुलिस की कार्रवाई, आंसू गैस और दम घुटने से हुईं।
प्रशासन ने आश्रम की बिजली-पानी काट दिया था और एम्बुलेंस को अंदर जाने से रोका, जिससे हालात बिगड़े।
अदालत ने माना कि यह सवाल बहस योग्य है कि मौतें हत्या थीं या पुलिस कार्रवाई की परिणति।
इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने उम्रकैद की सजा पर रोक लगाई और जमानत पर रिहाई का आदेश दिया है।
अन्य मामलों में भी राहत
हाल ही में 28 अगस्त 2025 को FIR 430 से जुड़े एक और मामले में भी हाईकोर्ट ने सजा निलंबित कर दी थी।
मानवीय आधार पर निर्णय
74 वर्ष की आयु और अब तक जेल में काटे गए 10 साल 8 महीने से अधिक समय को अदालत ने राहत का एक महत्वपूर्ण आधार माना।
जमानत की शर्तें
अदालत ने संत रामपाल जी महाराज को यह शर्तों के साथ जमानत दी:
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वे किसी भी प्रकार की भीड़ जुटाने या भड़काने वाली गतिविधि से दूर रहेंगे।
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ऐसे आयोजनों से बचेंगे जो शांति-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकते हैं।
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अगर शर्तों का उल्लंघन हुआ तो अभियोजन पक्ष जमानत रद्द कराने की अर्जी दे सकेगा।
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